तेरी दुनिया से उठ गयी खुदाई है, सब आया बस कयामत ही नहीं आयी है
तेरी दुनिया से उठ गयी खुदाई है, सब आया बस कयामत ही नहीं आयी है जहाँ से चलेथे वहीँ आज पहुंचे, शहर-शहर गली-गली रुसवाई ही रुसवाई है है भीड़ में अकेले, अकेले में एकाकी, हर तरफ बस तनहाई ही तनहाई है …