पहले उनने ब्राह्मणों पर प्रहार किया. और कमर तोड़ दी.
मैंने कुछ नही कहा क्यूंकि मैं ब्राह्मण नहीं था.
फिर उनने बाकी सवर्णों पर प्रहार किया. और कमर तोड़ दी.
मैंने कुछ नहीं कहा क्यूंकि मैं मनुवादी नहीं था.
फिर उनने पिछड़ो पर प्रहार किया. आरक्षण के माध्यम से उनमे हीन भावना और अलगाव की गृहणा को आग दी. और कमर तोड़ दी.
मैंने कुछ नहीं कहा क्यूंकि उसमे मेरा हित नहीं था.
फिर उनने प्रहार किया उनपर, जो प्रांत नहीं देश की बात करता था. और कमर तोड़ दी.
मैंने कुछ नहीं कहा क्यूंकि वह मेरे प्रांत का नहीं था.
फिर उनने उस पर प्रहार किया जो गाता था, “निज आन मान मर्यादा का प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे; जिस देश जाति में जन्म लिया बलिदान उसी पर हो जाएँ“. और कमर तोड़ दी.
मैंने कुछ नहीं कहा क्यूंकि सब केहते थे कि इसमें असाहिशुडता की गंध आती है.
फिर अंत में कुछ विदेशी और कुछ देशी बुद्धिजीवि जो कुंठित और विकृत विचारधारा के दास थे, उनके माध्यम से उनने उस पर प्रहार किया जो अपनी संस्कृति, इतिहास का ध्वज लिए फिरता था. और कमर तोड़ दी.
मैंने कुछ नहीं कहा क्यूंकि मैं रूड़ीवादी नहीं था.
अब वे मेरी कमर तोड़ने आ रहे हैं, पर मेरे पक्ष में बोलने वाला कोई बचा ही नहीं.
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