एक ऐसी जगह पर जाता है मन, जो दूर नहीं पर पास भी ना हो
जहां आग सी तपती रेत पर एक शीतलता सी बिछती हो
जहां दूर दूर तक तरु नहीं पर छांव हमेशा मिलती हो
जहां प्यास बुझाने को नीर नहीं पर दरिया गहरी बहती हो
एक ऐसी जगह पर जाता है मन, जो दूर नहीं पर पास भी ना हो
जहां रात के उजले साये में एक दिन नया सा दिखता हो
हो ख्वाहिश बड़ी दिल में पर पाने की कुछ आस न हो
एक ऐसी जगह पर जाता है मन जो दूर नहीं पर पास भी ना हो
हो दूर बहुत मैं दुनिया से एक दुनिया मेरे पास ही हो
संसार लिये मैं फिरता हूं पर कहने को एकाकी हूं
एक ऐसी जगह पर जाता है मन, जो दूर नहीं पर पास भी ना हो...